पिछले कुछ समय में , ६० और ७० के दशकों से लेकर अभी तक भी, शक्ति को पाने का प्रयास पूरे विश्व में , हर प्रकार से किया गया है, हर स्टार पर सभी ने सिर्फ “विकास” की चर्चा और कोशिश की है, बस “सिर्फ विकास किसी भी कीमत पर ”, विकास ही हमारे जीवन का एकमात्र लक्ष्य और उद्देश्य , यहाँ तक की विकास का उद्देश्य ही जीने की वजह और हमारा मालिक बन गया था.
परन्तु समय बदल चूका है, और हम् में से बहुत कम हैं जो इस बदलाव को समझ पाए हैं.
लेकिन अभी भी “किसी भी कीमत पर विकास “ कुछ व्यवसाइयों और कुछ सरकारों का मूल मंत्र है, जबकि विकास को पाने का प्रयास, एक ऐसा प्रयास है जिसमे सभी को एक साथ लेकर चलने की आवश्यकता है और कोई भी अलग अलग ना रहे.
खैर पशचिम के देशोन मे ऐसी विकास कि अवधारणा वाजिब है, पर पुरव के देशोन मे भी विकास और शक्ति के परसार के लिये किसी भी कीमत पर विकास की अवधारणा और विजय पर आधारित सोच जारी होने जैस परतीत होता है . यह सब एक बहुत ही अस्थिर नींव पर है, पर्यावरण, जनसंख्या और पशचिम अपने गौरवशाली इतिहास के लिये आसान माधयम से भुगतने को तैयर भी रहेगा.
आर्थिक शक्ति और जल्द ही राजनीतिक शक्ति पूर्व की ओर स्थानांतरित हो जायेगी – तो यकीन है फ़युचर ओफ़ पावर , भविष्य में मुख्य रूप से पूर्व और ‘नव विकसित देशों के द्वारा संचालित किया जाएगा.
चलो देखते हैं आगे क्या होता है …